भारत के दक्षिण पश्चिम में स्थित, क़रीब चार लाख की आबादी वाला 300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल यानी आकार में भारत की राजधानी दिल्ली से क़रीब पांच गुणा छोटा, 1200 द्वीपों का एक समूह, नीले ओर हरे पानी के अद्भुत संगम से लबरेज , नीले समंदर से घिरे सफ़ेद रेत के किनारों वाले द्वीप, सपनो का एक शहर, युवाओ के हनीमून का ख्वाबो का आशियाँ मालदीव यानी दीपों की माला को कोन नही जानता। सन 1965 में ब्रिटेन से आज़ादी मिलने के बाद शुरू में यहां राजशाही रही, नवंबर 1968 में इसे गणतंत्र घोषित किया| यहाँ धिवेही और इंग्लिश बोली जाती है| मालदीव का कोई भी द्वीप समुद्र तल से छह फुट से अधिक ऊंचा नहीं है हालंकि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के बढ़ते जल स्तर की नज़र से मालदीव पर ख़तरा बना रहता है| मालदीव में मलयाली शब्द 'माल' का मतलब माला से है और दीव का मतलब द्वीप से है। मालदीव ओर यहाँ के दीपो की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी हुई है। मालदीव की अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय का एक चौथाई से ज़्यादा हिस्सा पर्यटन से आता है|
2019 में पूरे विश्व से हर साल मालदीव आने वाले पर्यटकों की संख्या क़रीब 20 लाख थी। हालांकि कोरोना काल को छोड़ कर बीते साल भारत से मालदीव क़रीब दो लाख पर्यटकों गए थे, 2021 में क़रीब तीन लाख और 2022 में ये संख्या क़रीब ढाई लाख थी| मालदीव के मीडिया संस्थान एवीएएस के मुताबिक़, मालदीव आने वाले सबसे ज़्यादा पर्यटक भारतीय हैं। भारत से 2 लाख 5 हज़ार, रूस से 2 लाख 3 हज़ार, चीन से 1 लाख 85 हज़ार, यूके से1 लाख 52 हज़ार, जर्मनी से 1 लाख 32 हज़ार, इटली से 1 लाख 11 हज़ार, अमेरिका से 73 हज़ार पर्यटक हर साल यहाँ आते है |मालदीव पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक़, मालदीव में 175 रिसॉर्ट, 14 होटल, 865 गेस्ट हाउस, 156 जहाज़, 280 डाइव सेंटर्स, 763 ट्रेवल एजेंसी और पांच टूर गाइड्स हैं। मालदीव में सन आईलैंड, ग्लोइंग बीच, फिहालहोही आईलैंड, माले सिटी, माफुशि,आर्टिफिशियल बीच, मामीगिली घूमने की खास जगहें हैं।
क़रीब 32 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र, क़रीब 64 हज़ार आबादी, नीले पानी का अद्भुत नजारा, 36 छोटे-छोटे द्वीपों का समूह, सफ़ेद रेत के अद्भुत संयोग से बने बीच, केरल के कोच्चि से 440 किलोमीटर दूर, एक बेहद प्यारा ओर खूबसूरत केंद्र शासित प्रदेश हमारा लक्षदीप जिसका मतलब बोता है- एक लाख द्वीप| जो मालदीव के क्षेत्रफल से क़रीब 10 गुणा कम है। सबसे पहले लक्षद्वीप का जिक्र ग्रीक घुमंतुओं ने किया था वे इस द्वीप को बेहद खूबसूरत और अनछुआ बताते हुए कहते थे कि वहां समुद्री कछुए का शिकार आराम से हो सकता है। सातवीं सदी के आसपास यहां ईसाई मिशनरी और अरब व्यापारी दोनों ही आने लगे और यहाँ का धार्मिक रंगरूप बदलने लगा इसके पहले यहां बौद्ध और हिंदू आबादी हुआ करती थी। 11वीं सदी में डेमोग्राफी बदली और ज्यादातर ने इस्लाम अपना लिया। फिलहाल यहां लगभग मुसलमान 96.70 फ़ीसदी, हिन्दू 2.77 फीसदी , सिक्ख 0.01 फीसदी, बौद्ध 0.02 , इसाई 0.49 फीसदी , अन्य धर्म 0.01 फीसदी है | लक्षद्वीप के कवाराट्टी, अगाट्टी, अमिनी, कदमत, किलातन, चेतलाट, बिट्रा, आनदोह, कल्पनी और मिनिकॉय बेहद खूबसूरत मुख्य द्वीप है। यहां मलयालम भाषा बोली जाती है, सिर्फ़ मिनिकॉय में लोग मह्हे भाषा बोलते हैं, जिसकी लिपि धिवेही है। ये वही भाषा है जो मालदीव में भी बोली जाती है। लक्षद्वीप में लोगों की कमाई का अहम ज़रिया मछली पकड़ना, नारियल की खेती है।
लक्षद्वीप जाने के लिए एयर इंडिया, स्पाइस जेट और इंडिगो की फ्लाइट्स कोच्चि तक जाती हैं और कोच्चि से अगाती डेढ़ घंटे की फ्लाइट्स होती है | कोच्चि से लक्षद्वीप पानी के जहाज एमवी अरब सागर, एमवी मिनिकॉय, एमवी लक्षद्वीप, एमवी अमिनीदिवी, एमवी भारत सीमा, एमवी द्वीप सेतु, एमवी कावारत्ती से 14 से 18 घंटे में जाया जा सकता है |
भारत में लक्षद्वीप के विलय होने की दिलचस्प कहानी है| जिन्ना चाहते थे कि हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ मुस्लिम-बहुल होने की वजह से पकिस्तान में शामिल हो जाएं। सरदार पटेल की हिम्मत और सूझबूझ ने इन रियासतों को भारत से अलग होने से रोक लिया। जब ये बड़े सूबे भारत में मिलाए जा रहे थे, उस दौरान लक्षद्वीप बचा हुआ था। असल में दूरदराज होने की वजह से उस पर दोनों में से किसी देश का ध्यान तुरंत नहीं गया। दोनों अपनी-अपनी तरह से मेनलैंड रियासतों को अपने साथ करने की कोशिश में थे। सरदार पटेल ने अपनी दूरदर्शिता से साढ़े पांच सौ के करीब रियासतों को भारत में मिला लिया था। व्यापार-व्यावसाय से लेकर सेफ्टी के लिहाज से भी ये द्वीप समूह काफी जरूरी था। जिन्ना ने सोचा कि मुस्लिम मेजोरिटी होने की वजह से क्यों न लक्षद्वीप पर कब्जा कर लिया जाए। करीब-करीब उसी समय सरदार पटेल का भी इस पर ध्यान गया। उन्होंने दक्षिणी रियासत के मुदालियर भाइयों से कहा कि वे सेना लेकर फटाफट लक्षद्वीप की ओर निकल जाएं। रामास्वामी और लक्ष्मणस्वामी मुदालियर ने वहां पहुँच कर भारत का तिरंगा फहरा दिया। भारत के पहुंचने के कुछ देर बाद ही पाकिस्तानी युद्धपोत भी वहां पहुंचा, लेकिन भारतीय झंडे को शान से फहरता देख वापस लौट गया। इस तरह से लक्षद्वीप भारत का हिसा बना |
पहली बार लक्षद्वीप तब चर्चा का विषय बना जब लक्षद्वीप से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल पीपी ने शुक्रवार के बदले रविवार का अवकाश करने, गोमांस और बीफ की पाबंदी लगाने ओर यहां के स्कूलों का टाइम दिन में दस से शाम पाँच बजे तक करने के फ़ैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा कि प्रफुल पटेल जो 2020 से वहाँ के प्रशासक है वो चुने हुए प्रतिनिधि से बिना परामर्श किए एकतरफ़ा फ़ैसले ले रहे हैं। गौरतलब है की लक्षद्वीप में दशकों से शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के लिए छुट्टी रहती थी| उसके बाद लक्षद्वीप की एक अदालत ने 11 जनवरी 2023 को हत्या के प्रयास के मामले में एनसीपी सांसद मोहम्मद फैज़ल को दस साल की सज़ा सुनाई और उसकी सांसदी रद्द कर दी गई थी। इसके दो दिन बाद लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी हालाँकि 25 जनवरी 2023 को केरल हाई कोर्ट ने दस साल की सज़ा पर रोक लगा दी।
आज मालदीव ओर लक्षद्वीप के बीच विवाद का कारण है पीएम मोदी का लक्षद्वीप दौरा| मोदी की तस्वीरों को देखने के बाद सोशल मीडिया पर एक तबका ये कहने लगा था कि अब छुट्टी मनाने मालदीव नहीं, लक्षद्वीप जाएं| ऐसे ही कुछ ट्वीट्स का जवाब देते हुए मालदीव सरकार के मंत्रियों की ओर से आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए ये कहने की कोशिश की गई कि मालदीव की तुलना लक्षद्वीप से करना सही नहीं | इस विवाद को जायदा हवा तब मिली जब मोइज्जू ने चीन के राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि वो ज्यादा से ज्यादा संख्या में पर्यटक मालदीव भेजे। अब इन्हें कौन समझाये की जो चीन आज तक किसी का सगा नही हुआ तो तुम्हारा क्या होगा ? जब मोइज्जू चीन यात्रा पर इन से मिलने गए तो उन्होंने मिलने से मना कर दिया। चीन का दूसरा नाम ही दोगला है जिसने हमेशा अपने साथी की पीठ में खंजर घोपा है शायद मालदीव की हालिया सरकार ये भूल रही है कि विपत्ति के समय हमेशा भारत उसके साथ खड़ा रहता है और उसकी पर्यटन को बढ़ाने में भारत का बड़ा हाथ है। भारत की नाराजगी ओर लगातर कैंसिल होती टिकटो ने मालदीव की पर्यटन इंडस्ट्री की कमर तोड़ कर रख दी जिससे उन्हें भारत की नाराजगी का अहसास हो गया ओर उनके पर्यटन मंत्रालय ने मोइज्जू को कड़ी फटकार लगाई है और इसी कारण हालिया सरकर ने अपने 3 मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया ।
लक्षद्वीप और मालदीव दोनों को भारत की सुरक्षा के लिहाज के काफ़ी अहम माना जाता है| 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में आतंकवादी हमले से लक्षद्वीप की रणनीतिक संवेदनशीलता को समझा जा सकता है। इसलिए वहा भारतीय तट रक्षक पोस्ट को सक्रिय किया गया है| इसके अलावा आईएनएस द्वीपरक्षक नेवल बेस भी बनाया गया। अगर मालदीव में भारत की मौजूदगी कमज़ोर होती है तो चीन बहुत पास आ जाएगा और लक्षद्वीप में सुरक्षा को लेकर कोई चूक होती है तो आतंकवादियो की घुसपैठ की आशंका ओर बढ़ जाएगी। 36 छोटे-छोटे द्वीपों का ये समूह देश की सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम है| भारतीय सुरक्षा थिंक टैंक यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के अनुसार, जैसे अंडमान और निकोबार द्वीप प्रशांत से हिंद महासागर में एंट्री और एग्जिट पॉइंट हैं, उतना ही अहम रोल लक्षद्वीप का भी है| ये अरब सागर में वेंटेज पॉइंट की तरह काम करते हैं मतलब, यहां से दूर-दूर तक के जहाजों पर नजर रखी जा सकती है| चीन के बढ़ते समुद्री दबदबे के बीच भारत लक्षद्वीप में मजबूत बेस तैयार कर रहा है ताकि समुद्र में हो रही एक्टिविटी पर नजर रखी जा सके।
बीते साल लक्षद्वीप जाने वाले पर्यटकों की संख्या क़रीब 25 हज़ार रही थी यानी मालदीव जाने वाले भारतीयों की संख्या से लगभग आठ गुणा कम। अगर मालदीव से टक्कर लेनी है तो लक्षद्वीप में पर्यटन उद्योग को तेजी से आगे बढ़ाना पड़ेगा जिसके लिए तेजी से वहा डेवलपमेंट भी करना पड़ेगा। अभी ध्यान रहें कि लक्षद्वीप जाने के लिए आपको प्रशासन से परमिट लेना होता है और यहाँ कई द्वीपों पर तो एंट्री प्रतिबंधित है जिसकी सरकार से अनुमति लेनी होती है| पीएम मोदी ने 2020 में वादा किया था कि अगले 1000 दिन में लक्षद्वीप में तेज़ इंटरनेट होगा। आज पूरी दुनिया इन्टरनेट से जुडी है इसलिए वह पर्यटन बढाने के लिए मोदी को अपना वायदा निभाना भी पड़ेगा| भारत से मालदीव पहुंचना आसान है और कम वक़्त और कम कीमत में पहुंचा जा सकता है। मालदीव वीज़ा फ्री है जबकि अपने ही देश के लोगो को देश के एक कोने लक्षद्वीप जाने के लिए परमिट लेना पड़ता है तो हम कैसे वहाँ के पर्यटन को बढ़ाएंगे? भारत से अच्छी ख़ासी संख्या में मालदीव जाने के लिए फ्लाइट्स उपलब्ध हैं वहीं अगर आप लक्षद्वीप फ्लाइट्स से जाना चाहते हैं तो फ्लाइट्स की संख्या कम है। यूनियन टेरिटरी एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ लक्षद्वीप में साफ है कि सिर्फ सेना के जवान, जो यहां काम कर रहे हों, उनके परिवार, और सरकारी अधिकारियों को इस परमिट में छूट मिलती है। यहाँ के लिए ई- परमिट लिया जाता है। इसके लिए एक फॉर्म भरना होता है, जिसकी फीस 50 रुपए है| इसके अलावा ID की सेल्फ-अटेस्टेड कॉपी और पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट चाहिए होता है। परमिट मिलने के बाद ट्रैवलर को लक्षद्वीप पहुंचकर पुलिस थाने में उसे सबमिट करना होता है। ट्रैवल एजेंट की मदद से कोच्चि से भी परमिट बनाया जा सकता है। जो काफी जटिल प्रकिर्या है इसमे सुधर करना पड़ेगा|
भारत के नागरिकों का विरोध देखकर अच्छा लगा लेकिन हमारी आम जनता का विरोध क्षणिक होता है ये कुछ दिन में भूल जाते है जैसे चीन के समान का विरोध दीपावली के पास आते ही शुरू हो जाता है लेकिन पूरे साल चीन का बनाया समान उपयोग करते है। हंसी की बात तो ये है कि चीन के समान का विरोध शोशल मीडिया पर चीन के बनाये मोबाइल से ही करते है लेकिन अगर सच मे सरकार को मालदीव जैसा पर्यटन विकसित करना है तो उसके जैसे सुविधा ओर द्वीप विकसित करने पड़ेंगे। मालदीव में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है लेकिन अपने लोग अपने देश को गंदा करने में कोई कसर नही छोड़ते। पीएम मोदी ने 2014 में आते ही शानदार स्वच्छता अभियान चलाया जो देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण था जिसकी वजह से न चाहते हुए भी नेताओ ने अपने हाथ मे बाजार से एकदम नई झाड़ू लेकर फ़ोटो खिंचवाई ओर सफाई करने का नाटक भी किया जो कुछ दिन चला उसके बाद वही ढाक के तीन पात। अक्षय कुमार, सलमान ख़ान, सचिन तेंदुलकर जैसी कई हस्तियों ने घूमने के दौरान भारतीय तटों और द्वीपों को तरजीह दिए जाने की बात की जो यहाँ के पर्यटन के लिए अच्छी बात है। दुनिया का कोई कम असम्भव नही है जब तपते रेगिस्तान को आज का दुबई बनाया जा सकता है तो लक्षद्वीप नया मालदीव क्यों नही बन सकता ? बस जरूरत है भारत के नेताओ और यहाँ की जनता को राजनीती से परे हटकर देश के लिए सोचने की |