राजनीतक हलचल और जगदीप धनकड़ जी का इस्तीफा

News Publish Date: July 23, 2025

 

राजनीती का ऊँट कब किस करवट बेठ जाये कुछ कहा नही जा सकता |राजनीति के सितारे कब किसे बुलंदी पर पहुचा दे और कब किसे गर्त में ले जाए कुछ कहा नही जा सकता | राजनीति में किसी पद पर बेठे लोगो का कब इस्तीफा हो जाये पता नही चलता और राजनीति में जब भी कोई नेता “स्वास्थ्य” कारणों का हवाला देकर अपने पद से इस्तीफा देता है तो ये शब्द सुनते ही देश के राजनीतिक जानकार मुस्कुराने लगते हैं क्योंकि जब भी कोई बड़ा नेता  "स्वास्थ्य कारणों" से पद छोड़ता है, तो राजनीतिग्य असली बीमारी कहीं ओर तलाश करने लगते हैं कभी सिस्टम में, कभी दबाव में, और कभी अगले चुनाव की रणनीति में। हाल ही में मानसून सत्र की शुरुआत हुई और एक खबर जिसने भारत की राजनीती में हलचल मचा दी वो खबर है भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा| ] लेकिन यह स्पष्ट है कि उनके इस फैसले के पीछे अन्य कारक भी थे, जिन पर अभी कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

       संसद के मानसून सत्र के पहले दिन सम्मानीय श्री जगदीप धनकड़ जी सभापति के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन सक्रिय रूप से कर रहे थे, और उनके कार्यालय ने इस सप्ताह के उनके सार्वजनिक कार्यक्रमों की भी घोषणा कर दी थी। इस साल की शुरुआत में एक स्वास्थ्य समस्या के बाद, श्री धनखड़ सक्रिय सार्वजनिक जीवन में लौट आए थे, लेकिन 74 वर्षीय श्री धनखड़ के साथ सोमवार (21 जुलाई, 2025) को कुछ ऐसा अजीब अद्रस्य घटनाक्रम हुआ जिससे भारत की राजनितिक चाल ही बदल दी क्योकि उसी रात श्री धनकड़ ने अपना इस्तीफे दे दिया वो भी तब इसी महीने एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि वह 'सही समय' पर, 'दैवीय हस्तक्षेप' के अधीन, सेवानिवृत्त होंगे। धनखड़ 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार थे। वे वीवी गिरि और आर वेंकटरमन के बाद, अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा देने वाले भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति हैं। आखिर क्यों अचानक बिना कोई कारण उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया ? वेसे उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह अपनी खराब सेहत को बताया है लेकिन राजनीती में ख़राब स्वास्थ्य से इस्तीफा इतनी जल्दी हजम होने वाली चीज नही|

 

 

 अब धनखड़ साहेब के इस्तीफे की असली बिमारी (वजह) क्या है यह जानने की उत्सुकता आज हर हिन्दुस्तानी के मन में है| सभी कारणों को हम बीमारी के नाम से संबोधित करेंगे क्योकि मामला भी स्वास्थ्य का है -

1.      पहली बीमारी - मुखर व्यक्तित्व

 धनखड़ जी अपने मुखर व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं| अपने छोटे कार्यकाल के दौरान उन्होंने सम्मानीय न्यायालय, श्रीमान जजसाहेब , अमेरिका के रास्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, यहां तक कि अपनी ही सरकार  सरकार पर टिप्पणी करने से पीछे नहीं रहे और हर मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी|  उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान लगभग हर दिन राज्यसभा में विपक्ष के साथ उनका टकराव होता रहा|

 

2.      दूसरी  बीमारी: न्यायपालिका से ‘टकराव’

पानी में रहकर मगर से बैर नही रखना चाहिए और राजनीती में रहकर न्यायपालिका के बारे में कोई भी बयां बिना सोचे समझे नही देना चाहिए इस मामले में धनखड़ जी का मिजाज बिलकुल अलग रहा | संवैधानिक पद पर रहते हुए,  न्याय प्रणाली पर बेबाक टिप्पणी करने की हिम्मत भी उन जैसे लोग ही कर सकते हैं| शक्तियों के पृथक्करण के मुद्दे पर न्यायपालिका पर तीखा प्रहार किया था उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद्द करने के न्यायालय के फैसले की कड़ी आलोचना की थी| उन्होंने संसद द्वारा सर्वसम्मती से पारित कानून को रद्द करने पर सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाया था| अनुच्छेद 142 को “परमाणु मिसाइल” कहना, या जजों को 'सुपर संसद' घोषित करना ये सब कथन जैसे सुप्रीम कोर्ट के ज़जो को अखर रही थीं।

3.      तीसरी बीमारी: किसान प्रेम

दिसंबर 2024 में मुंबई में आईसीएआर-सीआईआरसीओटी के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए धनखड़ ने कहा था, “कृषि मंत्री जी, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे बताएं कि किसान से क्या वादा किया गया था? वादा पूरा क्यों नहीं किया गया? वादा पूरा करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?” उन्होंने कहा, “पिछले साल भी एक आंदोलन हुआ था, इस साल भी एक आंदोलन हुआ है.” धनखड़ ने कहा, “समय का पहिया घूम रहा है, हम कुछ नहीं कर रहे हैं. पहली बार मैंने भारत को बदलते देखा है| पहली बार मुझे एहसास हो रहा है कि भारत का विकास हमारा सपना नहीं, बल्कि हमारा लक्ष्य है| भारत दुनिया में इतनी ऊंचाई पर कभी नहीं था” धनखड़ ने किसानों से बात करते हुए कहा था, “जब ऐसा हो रहा है, तो मेरा किसान क्यों परेशान और पीड़ित है? किसान ही असहाय है”|

4.      चौथी बीमारी: ट्रम्प पर टिप्पणी

जगदीप धनखड़ ने इस्तीफ देने से ठीक दो दिन पहले शनिवार को इशारों-इशारों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को करारा जवाब दिया था| धनखंड ने कहा था, “लोगों को किसी आख्यान से प्रभावित नहीं होना चाहिए क्योंकि दुनिया की कोई भी ताकत भारत को यह निर्देश नहीं दे सकती कि उसे अपने मामलों को कैसे संभालना है” उन्होंने आगे कहा, “भारत आपसी सहयोग से काम करता है, परस्पर सम्मान रखता है और अन्य देशों के साथ कूटनीतिक संवाद करता है. लेकिन हम संप्रभु हैं, हम अपने फैसले खुद लेते हैं’’| धनखड़ की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब विपक्ष अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया भारत-पाकिस्तान झड़प में ‘संघर्ष विराम’ कराने के दावे पर सरकार से स्पष्टीकरण की मांग कर रहा है |

5.      पांचवी बीमारी:  न्यायपालिका के ज़जो से टकराव

जगदीप धनखड़ ने जजों पर भी कड़ी टिप्पणी की थी. उन्होंने ने कहा था, “हमारे पास ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यपालिका के कार्य करेंगे, जो सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है.”

 

6.      छट्टी बीमारी: बेबाक टिपण्णी

 धनखड़ ने अनुच्छेद 142 की चर्चा करते हुए कहा था, “अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है और कोर्ट के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है”| संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को अपने समक्ष किसी भी मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने हेतु आदेश जारी करने की शक्ति देता है| इस शक्ति को सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण शक्ति के रूप में भी जाना जाता है| धनखड़ ने कहा था, “हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है| हम किस दिशा में जा रहे हैं?देश में क्या हो रहा है? हमें बेहद संवेदनशील होना चाहिए| यह सवाल नहीं है कि कोई पुनर्विचार याचिका दायर करता है या नहीं| हमने इस दिन के लिए लोकतंत्र की कभी उम्मीद नहीं की थी| राष्ट्रपति को समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने के लिए कहा जाता है और यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह कानून बन जाता है.” धनखड़ ने कहा था, “हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और वह भी किस आधार पर?

 

 

7.      सातवी बीमारी: सविधान पर सवाल 

संविधान में 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्दों को शामिल किए जाने पर सवाल उठाया और सार्वजनिक रूप से आरएसएस द्वारा इन पर बहस के आह्वान का समर्थन किया|

 

8.      आठवी बीमारी: सरकार से टकराव

न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव पर महाभियोग चलाने के विपक्ष के प्रस्ताव का समर्थन किया, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से सांप्रदायिक टिप्पणी की थी। श्री धनखड़ ने न्यायमूर्ति यादव को हटाने के लिए 50 से अधिक सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव प्राप्त होने की बात स्वीकार की और कहा कि वह उनके हस्ताक्षरों की जाँच कर रहे हैं। उन्होंने दिल्ली के न्यायाधीश को हटाने के लिए विपक्ष के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया था। नियमों के अनुसार चलते हुए, श्री धनखड़ के पास उनके अलावा कोई विकल्प नहीं था। लेकिन इससे उनका सरकार के साथ टकराव शुरू हो गया।

 

9.      नवी बीमारी: चुनावी बुखार और बिहार की पॉलिटिक्स

बिहार का चुनाव नजदीक है। एनडीए गठबंधन कमज़ोर दिख रहा है। ऐसे में क्या यह इस्तीफा “पद खाली करने का यज्ञ” है, जिससे किसी जदयू नेता को उपराष्ट्रपति बना कर बिहार में समीकरण साधे जाएं? डॉ. हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति, रामनाथ ठाकुर कर्पूरी ठाकुर जी के बेटे, दोनों ही ऐसे नाम हैं जो वोट भी दिला सकते हैं और जातीय संतुलन भी बना सकते हैं। बिहार में चुनाव है और जाति समीकरण पर राजनीतिक दलों का ध्यान ना हो ये कैसे हो सकता है।

 

10.   दसवी बीमारी: नीतीश का ‘वादा’

एक और अफवाह उड़ रही है कि नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने का वादा किया गया था। अब ये बात कुछ हज़म नहीं होती, क्योंकि NDA ने उन्हें फिर से बिहार का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया है। पर राजनीति में वादे निभाए कब जाते हैं? | यहां तो वादों से पहले ही "पतंग" काट दी जाती है और वैसे भी, मोदी सरकार तो सरप्राइज़ फैक्टर के लिए जानी जाती है |

 

कारण कुछ भी हो लेकिन आने वाले दिनों में जोरदार ड्रामा देखने को मिलने वाला है। अगर आप राजनीती में है तो सिखने को बहुत कुछ मिलेगा और अगर राजनीती में इंटरेस्ट नही है तो टेंशन बिलकुल भी मत लेना बस पॉपकॉर्न ले लो और मजे से इस उठापटक का मजा ले......

 

 

 

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